Saturday, January 8, 2011

विधायकों की छवि क्या कभी सुधर पाएगी

भाजपा अपने विधायक राजकिशोर केसरी की हत्या से उतनी दुखी नहीं है जितने कि सुशील कुमार मोदी हुए हैं। यह भीषण आघात झेलने वाले मोदी तो मीडिया के सामने अपने विधायक का चरित्र चित्रण करने में ही जुटे रहे। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि राजकिशोर केसरी ईमानदार, कर्मठ, जुझारू नेता थे। वहीँ उन्होंने आरोपी महिला रूपम को ही ब्लैकमेलर बताया। इशारा साफ यह भी था कि वह महिला ही चरित्रहीन है।
सच क्या है वह तो जांच का विषय है। इस मामले की कई बिन्दुयों पर जांच होनी चाहिए - रूपम और राज किशोर केसरी के बीच आखिर क्या सम्बन्ध थे? रूपम विधायक को ब्लैकमेल कर रही थी, लेकिन क्यों और कैसे? क्या ये सच है कि विधायक और उनके सहयोगी विपिन राय रूपम का यौन शोषण कर रहे थे? क्या यह सच है की रूपम के बाद उसकी बेटी पर भी उनकी बुरी नजर थी? अब जहाँ तक महिला के चरित्रहीन होने की बात है तो कानून ये कहता है की पत्नी के साथ पति का या किसी वेश्या के साथ किसी भी व्यक्ति का जबरदस्ती शारीरिक सम्बन्ध स्थापित करना भी बलात्कार की श्रेणी में आता है। इस पहलू पर भी गौर होना बाकी है। 
एक बड़ा सवाल महिलाओं के खिलाफ राज्य में हो रहे उत्पीड़न और समय रहते न्याय न मिल पाने का का भी है। यूं बिहार की राजनीतिक पृष्ठभूमि में ही देखा जाए तो सनसनीखेज और चर्चित सेक्स स्केंडल सूची में श्वेता, निशा उर्फ बाबी, चंपा विश्वास, शिल्पी-गौतम, रेशमा उर्फ काजल के बाद अब रूपम पाठक- राजकिशोर केसरी का भी नाम जुड़ा है। इन तमाम मामलों की परिणति क्या हुई ये भी किसी से छुपी हुई नहीं है।
और अभी तक केसरी हत्याकांड में जो प्रगति है उससे इस मामले के हश्र की तरफ एक इशारा मिल गया है। डी़आईज़ी ने कहा कि हम हत्याकांड को केंद्र में रखकर पूरे मामले की जांच कर रहे हैं जबकि ये पूरा मामला सेक्स स्कैंडल का है जिसमें सही जांच की दिशा कुछ बड़े गिरेबान तक पहुँच सकते है। इस घटना से एक बार फिर स्पष्ट है कि जनप्रतिनिधियों के चाल- चरित्र- और चेहरे दागदार है या बहस का मुद्दा हैं? यही कारण है कि सार्वजनिक लोगों के निजी जीवन में आम लोगों की खासी दिलचस्पी हमेशा रहती है पर कई बार जब बड़ी घटना होती है तो वो मामला मीडिया की सुर्खी बन जाता है। 
रूपम के साथ क्या हुआ, ये जाँच का विषय है। पूरी घटना पर सही-गलत का फैसला किसी मोदी या मीडिया के कहने भर से नहीं होने वाला। इस पूरे मामले में उच्चस्तरीय जाँच ही दूध-का-दूध और पानी-का-पानी कर पाएगी। तब तक राजकिशोर केसरी या रूपम पाठक, दोनों में से किसी का भी चरित्र चित्रण, चरित्र हनन और महिमामंडन नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन पूर्णिया की गलियों में मौजूद पब्लिक भले ही सब जानती है पर फैसला कानून के हाथ में है, जिसके लिए अभी लंबा इंतजार करना होगा।
यूं देखा जाए तो अपराध और राजनीति में चोली-दामन का सहकार होने का खुलासा इससे भी होता है कि बिहार के 141 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लम्बित हैं। यह खुलासा उस शपथ पत्र का है, जिसे इन विधायकों ने अपने चुनाव के समय दाखिल किया था। इन 141 विधायकों में 85 ऐसे विधायक हैं, जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। कई विधायकों पर हत्या और हत्या के प्रयास के भी मामले लम्बित हैं। कई विधायकों के खिलाफ ऐसे मामले लम्बित हैं जिन्हें देखने से पता चलता है कि इन्हें राजनीतिक आन्दोलनों के दौरान दर्ज किया गया होगा।
औरंगाबाद जिले में गोह के जदयू विधायक रणविजय सिंह हत्या के एक मामले में जेल में बंद हैं और यह चुनाव भी उन्होंने जेल से ही लड़कर जीता। 2005 के विधानसभा चुनाव में एक मतदान केन्द्र पर हुई गोलीबारी में हुई एक व्यक्ति की मौत के मामले में वे आरोपित हैं। फिलहाल यह मामला कोर्ट में लंबित हैं। हालांकि इस मामले में विधायक ने भी एक काउंटर केस किया है, जिसमें कहा गया है कि जब वे बूथ पर गए तो अज्ञात लोगों ने उन पर गोलियां चलाई।
इसी जिले के कुटुम्बा के विधायक ललन भुईयां पर सात साल पहले तत्कालीन पर्यटन राज्य मंत्री सुरेश पासवान ने एक सभा के दौरान उनके साथ मारपीट करने का मुकदमा दर्ज कराया था। भागलपुर जिले के नाथनगर विधानसभा क्षेत्र से इस बार जदयू के टिकट पर निर्वाचित अजय मंडल के विरुद्ध हत्या, अपहरण, मारपीट सहित कई मामले दर्ज हुए थे। कुछ में अजय मंडल को जेल भी जाना पड़ा था।
अधिकांश गंभीर मामलों में कोर्ट से उनकी रिहाई हो चुकी है। 2 मई 1993 में कहलगांव के स्टाम्प वेंडर चन्द्रानंद मिश्र का अपहरण कर हत्या करने के मामले में अजय मंडल सहित अन्य को आरोपित किया गया था। इस संबंध में सबौर कांड संख्या 90-93 के अन्तर्गत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। वर्तमान में भले ही अजय मंडल के विरुद्ध कोई संगीन मामला नहीं है, लेकिन पूर्व में इनके विरुद्ध कई मामले चल रहे थे। हालांकि किसी मामले में उन्हें दोषी नहीं पाया गया है।
गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक नरेन्द्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल के विरुद्ध हत्या सहित कई संगीन मामले लंबित हैं। कई में रिहाई हो चुकी है। पहले से इनके खिलाफ एक दर्जन से अधिक हत्या, रंगदारी और मारपीट के मामले दर्ज हैं। इनमें से कुछ मामलों में पुलिस ने उन्हें क्लीन चिट दी तो कुछ में कोर्ट से रिहाई हुई है। परबत्ता थाना क्षेत्र में हत्या के मामले में उनके विरुद्ध सुनवाई कोर्ट में जारी है। कुछ मामलों में उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी।
1998 में 14 जून को पूर्णिया के माकपा विधायक अजीत सरकार की हत्या हो गयी। इस मामले में अजीत सरकार के भाई कल्याण चंद्र सरकार ने एफआईआर दर्ज करायी, जिसमें तत्कालीन सांसद पप्पू यादव आरोपी बनाए गये। तत्कालीन सरकार ने जांच सीबीआई को सौंपी। 14 फरवरी 2008 को विशेष अदालत द्वारा सांसद पप्पू यादव एवं अन्य आरोपी को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी। इसी प्रकार, अप्रैल 2000 में समता पाटी के जिलाध्यक्ष बूटन सिंह की हत्या कोर्ट परिसर में कर दी गयी थी। उस समय बूटन सिंह की पत्नी लेसी सिंह धमदाहा सीट से विधायक थीं।
इसकी जांच भी राज्य सरकार ने सीबीआई को सौंपी थी। इस मामले में राष्ट्रीय जनता दल के जिलाध्यक्ष एवं धमदाहा के पूर्व विधायक दिलीप कुमार यादव आरोपी हैं। यह मामला सीबीआई के पास विचाराधीन है। रूपौली सीट से पूर्व लोजपा विधायक शंकर सिंह के खिलाफ भी कई संगीन मामले विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं। कटिहार जिले के  एमएलसी अशोक अग्रवाल जमीन विवाद को लेकर हुई सन् 2008 में विजय ठाकुर की हत्या के मामले में आरोपी हैं। इस मामले में वे जमानत पर हैं।


बिहार के कुछ और चर्चित मामले
- हत्या व रंगदारी के मामले में नरकटियागंज विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी विधायक सतीश चंद्र दूबे आरोपित हैं। मामला अपर जिला-सत्र न्यायाधीश (एफटीसी) द्वितीय रामचन्द्र साहनी के न्यायालय में विचाराधीन है। फिलवक्त विधायक जमानत पर हैं।
- मुजफ्फरपुर जिले के औराई से उम्मीदवार रहे गणेश प्रसाद यादव के खिलाफ कई गंभीर मामले दर्ज हैं। पारू के भाजपा विधायक अशोक सिंह के खिलाफ भी सरैया थाना में मामला दर्ज है, जिसमें फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
- सीवान जिले के आरजेडी बाहुबली शहाबुद्दीन ऐसे नेता हैं जिन पर 54 से अधिक मुकदमे हैं। लोकसभा चुनाव 2009 में चुनाव से वंचित रहे। उनकी पत्नी हिना शहाब चुनाव लड़ीं और हारीं। उनके राजनैतिक सफर में अपराधों की लंबी सूची है।
- सारण जिले के मढ़ौरा के पूर्व विधायक सुरेंद्र शर्मा के विरुद्ध हत्या का आरोप साबित हो चुका है। वे अमेरिका सिंह हत्याकांड में छपरा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। हालांकि कई मामलों में वे कोर्ट से बरी भी हो चुके हैं।
- वारिसलीगंज के जेडीयू विधायक प्रदीप कुमार पर जेल ब्रेक कांड सहित आधा दर्जन से अधिक संगीन मामले दर्ज हैं। इन मामलों की सुनवाई कोर्ट में चल रही हैं।
 

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