Wednesday, September 19, 2012

प्री-प्रोडक्शन :-
  प्री-प्रोडक्शन  में फिल्म केसी होनी चाहिए ? फिल्म में क्या दिखाना है, कैसे दिखाना है ? फिल्म बनाए से पहले सब बातो को जाना और उसके बारे में पता लगाना आदि मुद्दों पर बातचीत होती है या कहा जाए तो योजना बनाए जाती है | प्री-प्रोडक्शन आशाओं का महासागर है |  
CONCEPT:-
कंसेप्ट प्री-प्रोडक्शन का पहला भाग है |इसमें हम फिल्म को क्यूँ बनाना चाहते है ? फिल्म किस बारे में होगी ? दर्शको पर क्या असर छोड़ना चाहते है ?   आइडिया या विचार-सूत्र की कौंध –One line story से ही फिल्‍म निर्माण की शुरूआत होती है। उदाहरण देंखें तो कहा जा सकता है कि अंबानी घराने की गूंज गुरु फिल्‍म में दिखाई देती है। प्रोड्यूसर के सामने कोई ऐसे ही एक लाइन का आइडिया लेकर जाता है और फिल्‍म बनाने का सिलसिला आगे बढ़ता है।वृत्तचित्र में कंसेप्ट १०० शब्दों का लिखा जाता है |

TREATMENT
  यह एक प्रकार की व्याख्या होती है |फिल्‍म की कथा को पटकथा में ढाले बिना फिल्‍म निर्माण बड़ा जटिल होता है।पटकथा लेखक/निर्देशक द्वारा कहानी की पटकथा (सिनेमा के फिल्‍मांकन के अनुरूप) तैयार की जाती है।दरअसल पटकथा एक नहीं अनेक होती हैं जिसमें कैमरा परसन और अभिनेताओं समेत सभी जरूरी लोगों के लिए आवश्‍यकता के अनुरूप पटकथाएँ तैयार की जाती हैं।
लेकिन, लोचा यह है कि पटकथा लिखने से ज्‍यादा सुनने और बताने की चीज बन जाती है। बॉलीवुड में पटकथा लिखने के बजाय या फिर उस पर हू-ब-हू चलने के बजाय वह लगातार बदलती रहती है।

SCRIPT
  इसी विचार-सूत्र को विकसित कर एक पूरी कहानी बनाई जाती है। निर्माता/निर्देशक द्वारा कहानी का चयन और परिवर्तन करने के बाद उसे स्‍वीकृत कर लिया जाता है। इसे हम फिल्‍म की कथा कह सकते हैं।

BUDGET
निर्माता द्वारा बजट (Budgeting) पर बातचीत तथा बजट के अनुरूप पटकथा का समायोजन एवं बदलाव जरूरी होता है।वास्‍तव में देखें तो बजट पटकथा पर दबाव बनाता है जिसके चलते पटकथा से कई दृश्‍य काट-छाँट दिए जाते हैं।