Friday, December 17, 2010

भारत से जुड़ने के हिन्दी सीख रहे हैं विदेशी

भारत से जुड़ने के लिए बहुत से विदेशी इन दिनों हिन्दी सीख रहे हैं। उनका मानना है कि इस भाषा का ज्ञान होने पर उन्हें भारतीय लोगों के साथ घुल मिल पाने में आसानी होगी। वैश्विक कंपनियों के लिए भारत के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभरने के साथ ही विदेशियों में हिन्दी के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है।
विदेशियों को हिन्दी सिखाने वाले एक कोचिंग संस्थान के प्रमुख चंद्र भूषण पांडेय ने कहा कि जो विदेशी भारत में बसना चाहते हैं या जो यहां अपना व्यवसाय स्थापित करना चाहते हैं, वे अधिक अच्छे परिणामों के लिए हिन्दी सीखने की आवश्यकता को महसूस करते हैं। हालांकि अंग्रेजी भारत में अब भी व्यावसायिक भाषा है, लेकिन हिन्दी का ज्ञान सांस्कृतिक बारीकी को समझने में मदद करता है।
हर महीने करीब 40 विदेशियों को हिन्दी सिखाने वाले पांडेय का कहना है कि पिछले आठ सालों में हिन्दी बोलने की मांग 50 प्रतिशत तक बढ़ गई है। हिन्दी बोलने और समझने की क्षमता भारतीय संस्कृति और इतिहास को समझने के अवसर बढ़ाती है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में अपने कार्यालय खोल रही हैं और वे बेहतर व्यावसायिक परिणामों तथा अपने भारतीय ग्राहकों से जुड़ने के लिए अपने अधिकारियों को हिन्दी सीखने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
गुड़गांव के हिन्दी विशेषज्ञ नीरज मेहरा का कहना है कि जो विदेशी पेशेवर अपने भारतीय समकक्षों के साथ तालमेल कर लेते हैं, वे यहां अत्यंत सफल रहते हैं। मैं विदेशियों को नमस्कार, शुक्रिया और धन्यवाद जैसे शब्द बोलना सिखाता हूं, ताकि वे बेहतर परिणामों के लिए अपनी बातचीत में इन शब्दों का इस्तेमाल कर सकें। मेहरा उन्हें सांस्कृतिक प्रशिक्षण भी मुहैया कराते हैं।
उनका कहना है कि यदि कोई विदेशी हाथ जोड़कर आपसे नमस्ते कहे तो इसकी खुशी किसी के द्वारा आपको हेलो कहे जाने से ज्यादा होती है। भारत में गैर सरकारी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ काम कर रहे विदेशी भी हिन्दी सीखते हैं। दिल्ली में एक एनजीओ से जुड़ी स्विटजरलैंड की जूलियट ने कहा कि मैंने सोचा था कि अंग्रेजी से काम चल जाएगा, लेकिन अपने काम के दौरान मैंने महसूस किया हिन्दी सीखना आवश्यक है।

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