Saturday, December 25, 2010

विवेकाधीन अधिकारों को त्यागें मुख्यमंत्री व मंत्रीः सोनिया

 कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केन्द्रीय मंत्रियों और राज्यों के मुख्य मंत्रियों को पत्र लिखकर उनसे अपने विवेकाधीन अधिकारों और खासकर भूमि आवंटन से जुड़े अधिकारों को छोड़ने को कहा है।
सोनिया ने शनिवार को पार्टी महासचिवों की भी बैठक की और उन्हें भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राजग के खिलाफ प्रखंड स्तर पर अभियान चलाने के लिए तैयारियां शुरू करने का निर्देश दिया।
पार्टी महासचिवों के साथ करीब एक घंटे से ज्यादा समय तक चली इस बैठक में सोनिया ने उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा कि राज्यों में कांग्रेसजनों द्वारा सादगी और मितव्ययता का निश्चितरूप से पालन किया जाए।
समझा जाता है कि सोनिया ने अपने महासचिवों को यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि राज्यों में आयोजित होने वाले पार्टी के कार्यक्रमों में आडंबर न हो और सरकार में बैठे पार्टी नेताओं के जीवन में सादगी झलकनी चाहिए।
उन्होंने महासचिवों से केन्द्र की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए राज्यों में निगरानी समिति गठित करने के लिए काम शुरू करने को भी कहा है। केन्द्रीय मंत्रियों और राज्यों के मुख्य मंत्रियों को सोनिया का पत्र 19 दिसंबर को पार्टी महाधिवेशन में की गई उनकी अपील पर आगे की कार्रवाई है। गांधी ने महाधिवेशन में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए चार सूत्री कार्य योजना को रेखांकित किया था।
सोनिया ने कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि सभी विवेकाधीन अधिकारों और खासकर भूमि आवंटन के अधिकारों से भ्रष्टाचार पनपता है। मै चाहूंगी कि सभी कांग्रेसी मुख्यमंत्री और केन्द्र तथा राज्यों में मंत्री अधिकारों की समीक्षा कर और उन्हें त्यागकर उदाहरण पेश करें।
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को भेजे गए इस पत्र का परिणाम निकलने लगा है और अनेक मंत्रियों ने पार्टी अध्यक्ष के पत्र का जवाब दे दिया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद ने अपने जवाब में संभवत: यह कहा है वह या उनका मंत्रालय किसी विवेकाधीन अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।
पार्टी, लगता है जनता में यह संदेश देने को लेकर इच्छुक है कि वह किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त करने वाली नहीं है। महाधिवेशन में ही पार्टी के युवा नेता राहुल गांधी ने कहा था, हमें जवाबदेही की जरूरत है, भ्रष्ट लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। सूत्रों ने बताया कि सोनिया महाधिवेशन में तय किए गए कार्यक्रमों को लागू करने को लेकर काफी गंभीर हैं और चाहती हैं कि इन कार्यक्रमों की समीक्षा समय-समय पर होती रहे।
आज की बैठक में सोनिया ने विभिन्न राज्यों के प्रभारी महासचिवों को यह भी निर्देश दिया कि जिन राज्यों में पार्टी की सरकार है वहां प्रदेश कांग्रेस कमेटी और सरकार के बीच बेहतर तालमेल के लिए वे कदम उठाएं। इसके अलावा जहां कांग्रेस विपक्ष में है वहां कांग्रेस विधायक दल और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के बीच बेहतर तालमेल कायम करने के लिए भी उपाय किए जाएं।

सोनिया ने जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं वहां चुनाव की तैयारियों की भी समीक्षा की। उन्होंने पार्टी का चिंतन शिविर आयोजित करने की योजना के बारे में भी चर्चा की। गौरतलब है कि बुधवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी, पी चिदंबरम और जयराम रमेश ने पार्टी महासचिवों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की थी।
पार्टी महाधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष ने पंचमढ़ी के विचार मंथन शिविर और शिमला के चिंतन शिविर की तर्ज पर आने वाले महीनों में इसी तरह का एक शिविर आयोजित करने की घोषणा की थी। गौरतलब है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिवों द्वारा गत बुधवार को पार्टी को मजबूत बनाने और सरकार तथा संगठन के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करने के इरादे से कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा तय किए गए एजेंडे की प्रगति की समीक्षा की थी।
कांग्रेस के पिछले महीने संपन्न हुए महाधिवेशन में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रदेश स्तर पर समन्वय समिति और निगरानी समिति गठित करने, जनता को संप्रग सरकार की उपलब्धियों से अवगत कराने और भाजपा के दोहरे मापदंडों को बेनकाब करने के लिए देशव्यापी जनजागरण अभियान चलाने की भी घोषणा की थी और कहा था कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम एक सभा आयोजित की जानी चाहिए। उन्होंने हरेक प्रदेश कांग्रेस कमेटी से साल में कम से कम एक बार प्रतिनिधि सम्मेलन आयोजित करने के लिए भी कहा था।

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