Saturday, February 5, 2011

bhumika

हलाकि सिनेमा का कला के रूप में जन्म आज से 100 वर्ष पूर्व हो चूका था | अगर भारतीय सिनेमा को देखे तो दो भागो में बटा | स्पष्ट रूप से दुष्टिगोचर होता है | एक तो 1913 - 1930 - मूक फिल्मों का दौर, 1931 - अब तक सवाक फिल्मों का दौर|
             भारतीय सिनेमा हर दस वर्ष में बदला |1931 के बाद ४० तक समाजिक  फिल्मों का दौर रहा | 1948 में राजकपूर की 'बरसात' से रोमांटिक इरा की शुरुआत हुई और इसी का फेनेटिक रूप 1990 के वर्षो में दुष्टिगोचर होता है | जैसे की प्रेम प्रसंगो पर कहानी का ताना बाना , और मुख्य चरित्र का किसी बाहरी देश से आना | अर्थात N.R I चरित्र | दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे  से  N.R I चरित्र फिल्मों का मुख्य किरदार बना | तमाम पुराने मिथक और दरे में बदलाव आया | ये चरित्र फैंटेसी से गड़ा गया | एक स्तेरियोपइप चरित्र होते है जो अपना प्रेम प्राप्त करने के  लिए सात समंदर पार से आते है | और अपनी महबूबा को अपने साथ ले जाते है | और इस तरह N.R I चरित्रकी भूमिका दर्शको के सामने आइ |

No comments:

Post a Comment