Sunday, February 6, 2011

film itihas 2

दक्षिण भारत में फिल्म उद्योग कि नीव आर.नटराज मुदलियार ने रखी |उन्होंने दक्षिण भारत की पहली कथा फिल्म "कीचक वधंम" का निर्माण 1919 में किया | द्वारका दास संपत बम्बई में फिल्मों का प्रभुत्व बनाने वाले व्यक्तियों में से एक थे | 1918 में उन्होंने 'राम बनवास' नाम से भारत के पहले धारावाहिक फिल्म का निर्माण किया | 1919 में उन्होंने 'कोहिनूर फिल्म कंपनी' का निर्माण किया, जिसके बैनर तले कटोरा भर खून (बम्बई में बनी पहली सामाजिक फिल्म ),भक्त विधुर (1921),काला नाग (1924) आदि फिल्मों का निर्माण हुआ | बम्बई स्तिथि कोहिनूर स्टूडियो को एक समय में वो ख्याति प्राप्त थी,जो हालीवुड में एम.जी.एम को प्राप्त थी | अपने इस योगदानो की बदोलत 'द्वारका दास संपत' को बम्बई फिल्म उद्योग का जनक मन गया |                                            उत्तर भारत में स्थापित होने वाली पहली कंपनी 'द ग्रेट इस्टर्न फिल्म कॉर्पोरेशन लि,' थी | इसकी स्थापना 1924 में पंजाब में हिमांशु राय ने की थी | इसके अंतर्गत बनी फिल्म 'लाइट ऑफ़ एशिया' लन्दन में दस महीने चली | अंतराष्ट्रीय क्षत्र में भारत को प्रशिष्ठा दिलाने वाली यह पहली फिल्म थी |
                           बंगाल में फिल्म उद्योग के स्थापक के रूप में जिस व्यक्ति को ख्यति प्राप्त है,उनको लोग मदन लाल साहब के नाम से जानते है | इन्होने फाल्के कि फिल्म को बंगाल में प्रदर्शित किया | 1927 तक पूरे भारत वर्ष के 346 सिनेमाघरों में 86 इन्ही के थे | इन्होने 1907 में कलकात्ता में 'एलफिस्टन पिक्चर पेलेस' नाम से प्रथम स्थाई सिनेमाघर का निर्माण किया | बंगाल का प्रथम कथा चित्र विल्ब मंगल भी इन्ही कि कृति थी |
                    1931 में भारत कि पहली सवाक फिल्म 'आलमआरा' का निर्माण आर्देशिर इरानी ने किया | और एक बार फिल्मों को ज़बान क्या मिली,उन्होंने फिर कभी मुडकर नहीं देखा | भारत में एक्शन और साहसिक कारनामो से भरी फिल्म बनाने का श्रेय वाडिया बंधूओ को प्राप्त है | जे.बी.एच. वाडिया ने छोटे भाई होमी वाडिया के साथ मिलकर हालीवुड कि एक्शन फिल्मों से प्रभावित हो कई स्टंट फिल्मों का निर्माण किया | उनकी पहली फिल्म 'थंडर बोल्ट' थी | इनकी अन्य स्टंट फिल्मों में लाइनमैंन (1932 )   हिवल विंड (1933 ),दिलरुबा डाकू (1933 ) आदि मुख्य थी |
          1918 में चलचित्र उद्योग कि देख तात्कालीन ब्रिटिश सरकार ने 'सिनेमाटोग्राफ  एक्ट' पास किया | 1920 में प्रथम इंडियन फिल्म सेंसर बोर्ड कि स्थापना हुई | उस समय बोर्ड का मुख्य उद्देश्य फिल्मों को राष्ट्रवादी विचार धारा एवं सरकार विरोधी भावना के प्रभाव से बचे रखना मात्र था | इसी आधार पर कोहिनूर फिल्म कंपनी कि 'भक्त विदुर' पूर्ण रूप प्रतिबंधित कर दी गयी | बंगाल में 1922 और बम्बई 1923 में ब्रिटिश सरकार द्वारा मनोरंजन कर लागू कर दिया गया | प्रारंभिक भारतीय फिल्मे पचिमी देशो कि फिल्मों कि तुलना में तकनीकि एवं कलात्मकता के लिहाज़ से कमतर थी | लेकिन इन फिल्मों ने कुछ कहे ही, भारतीयों को उनकी शक्तियों को दर्शाया | सामाजिक फिल्मों के द्वारा भारतीयों को उन में बसी समस्याओ के बारे में बताया गया और उनसे निजात पाने के रास्ते भी सुझाए गए | महिला सशक्तिकरण कि विचार धारा भी फिल्मों के माध्यम से दर्शको तक पहुंचायी गई | महान साहित्कारो के उपन्यास तथा कहानिया फिल्मों के माध्यम से आम जनता तक पहुंचायी गई | अतंत: प्रारंभिक फिल्मों ने लोगो को मनोरंजन प्रदान करने के साथ साथ समाज के प्रति सचेत भी किया | क्या सही- क्या ग़लत तर्क करने कि बुद्धि प्रदान कि और उनमे नई कांति को संचारित किया |

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