भारतीय प्रवासी दिवस सम्मेलन के मुख्य अतिथि न्यूजीलैंड में भारतीय मूल के गवर्नर जनरल सर आनंद सत्यानंद ने कहा है कि विदेशों में रह रहे भारतीय अपनी जड़ से जुडे़ रहकर भारत के सांस्कृतिक दूत के रूप में काम कर रहे हैं।
सुदूर प्रशांत महासागर क्षेत्र के देश न्यूजीलैंड में सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन सर आनंद ने कहा कि पिछले 200 वर्षों से भारत से जुडे़ लोग न्यूजीलैंड में भारतीय मूल्यों एवं परम्पराओं के साथ रह रहे हैं। सर आनंद ने सम्मेलन के औपचारिक उदघाटन के मौके पर कहा कि प्रवासी भारतीय चाहे जिस देश में बसे हों, उन्होंने अपनी जड़ों को याद रखा है तथा भारत की सभ्यता-संस्कृति को लेकर वे गर्व महसूस करते हैं।
उन्होंने गिरमिटिया मजदूरों के रूप में फिजी गए अपने पूर्वजों की संघर्षपूर्ण जीवनगाथा की चर्चा करते हुए कहा कि उनके पूर्वज करीब 130 वर्ष पूर्व उत्तरप्रदेश के एक गांव से गिरमिटिया मजदूर के रूप में फिजी गए थे। वहां से अगली पीढी़ के लोग न्यूजीलैंड जाकर बसे। गरीबी और अभावों का उन्होंने सफलतापूर्वक सामना किया तथा अपने नए देश में सम्मानपूर्ण स्थान हासिल किया। लेकिन उन्हें भारत की संस्कृति से जुडे़ रहने पर आज भी गर्व महसूस होता है।
सुदूर प्रशांत महासागर क्षेत्र के देश न्यूजीलैंड में सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन सर आनंद ने कहा कि पिछले 200 वर्षों से भारत से जुडे़ लोग न्यूजीलैंड में भारतीय मूल्यों एवं परम्पराओं के साथ रह रहे हैं। सर आनंद ने सम्मेलन के औपचारिक उदघाटन के मौके पर कहा कि प्रवासी भारतीय चाहे जिस देश में बसे हों, उन्होंने अपनी जड़ों को याद रखा है तथा भारत की सभ्यता-संस्कृति को लेकर वे गर्व महसूस करते हैं।
उन्होंने गिरमिटिया मजदूरों के रूप में फिजी गए अपने पूर्वजों की संघर्षपूर्ण जीवनगाथा की चर्चा करते हुए कहा कि उनके पूर्वज करीब 130 वर्ष पूर्व उत्तरप्रदेश के एक गांव से गिरमिटिया मजदूर के रूप में फिजी गए थे। वहां से अगली पीढी़ के लोग न्यूजीलैंड जाकर बसे। गरीबी और अभावों का उन्होंने सफलतापूर्वक सामना किया तथा अपने नए देश में सम्मानपूर्ण स्थान हासिल किया। लेकिन उन्हें भारत की संस्कृति से जुडे़ रहने पर आज भी गर्व महसूस होता है।
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