Thursday, January 17, 2013


हिन्दी सिनेमा, जिसे बॉलिवुड के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दी भाषा में फ़िल्म बनाने का उद्योग है । बॉलिवुड नाम अंग्रेज़ी सिनेमा उद्योग हॉलिवुड के तर्ज़ पर रखा गया है । हिन्दी फ़िल्म उद्योग मुख्यतः मुम्बई शहर में बसा है । ये फ़िल्में हिन्दुस्तान,पाकिस्तान, और दुनिया के कई देशों के लोगों के दिलों की धड़कन हैं । हर फ़िल्म में कई संगीतमय गाने होते हैं । इन फ़िल्मों में हिन्दी की "हिन्दुस्तानी" शैली का चलन है । हिन्दी और उर्दू (खड़ीबोली) के साथ साथ अवधी, बम्बइया हिन्दी, भोजपुरी,राजस्थानी जैसी बोलियाँ भी संवाद और गानों मे उपयुक्त होते हैं । प्यार, देशभक्ति, परिवार, अपराध, भय, इत्यादि मुख्य विषय होते हैं । ज़्यादातर गाने उर्दू शायरी पर आधारित होते हैं ।
लाभ
सिनेमा जबसे मनुष्य के जीवन का अंग बना है, उसने उसके जीवन की कायापलट कर दी है। इसके आगमन से मनुष्य को अनेक प्रकार के लाभ हुए हैं। मनुष्य मनोरंजन के लिए यहाँ-वहाँ भटका करता था। अपने मनोरंजन के लिए वह खेलों का सहारा लिया करता था। परन्तु यह मनोरंजन स्थायी नहीं था। समय बदला और मनुष्य ने सिनेमा का आविष्कार किया। अब वह परदे पर या घर बैठे कई मनोरंजन और ज्ञान से भरी फिल्में देख पाता था। इसने मनुष्य का ज्ञान भी बढ़ाया और उसके लिए अनेक प्रकार के लाभ भी हुए। जहाँ लोगों को जीविका मिली वहां लोगों को देश-विदेश को समझने में सहायता भी मिली है। सिनेमा शिक्षा का बहुत बड़ा स्रोत है। सिनेमा के माध्यम से समाज में बदलाव किया जा सकता है। सिनेमा लोगों पर सीधा प्रभाव डालता है। इससे लोगों की सोच पर गहरा प्रहार किया जा सकता है। विद्यार्थी अगर पढ़ने के साथ-साथ देखकर चीज़ें समझने का प्रयास करता है। उसे सदैव के लिए याद कर लेता है। सिनेमा के द्वारा हम अनेक देशों की यात्रा कर लेते हैं। उनके बारे में हमें अनेक प्रकार की जानकारियाँ प्राप्त हो जाती है। सिनेमा के माध्यम से हमें प्राचीन इतिहास की रोचक घटनाओं की गहरी जानकारी प्राप्त हो जाती है। सिनेमा हमारा नैतिक उपदेश और शिक्षक हैं।
हानि
सिनेमा हमारा नैतिक उपदेश और शिक्षक हैं,परन्तु इसके साथ-साथ इसकी हानियाँ भी कम नहीं है। चूंकि यह लोगों पर सीधा प्रभाव डालता है। अतः समाज में पश्चिमी सभ्यता का चलन उसका अनुसरण इन्हीं के माध्यम से बड़ा है। इसमें परोसी जाने वाली हिंसा तथा अश्लीलता का युवा पीढ़ी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। वे पथभ्रष्ट हो रहे हैं। सिनेमा उन्हें आकर्षित करता है, हर कोई इस जगत में हाथ आजमाना चाहता है। इसके लिए वह कच्ची उम्र में ही घर छोड़कर भाग जाते हैं। हमारी संस्कृति और सभ्यता को ही इनसे नुकसान हो रहा है।

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